बुधवार 3 दिसंबर 2025 - 14:24
आज़ादी का दावा करने वाले देश वास्तव में जनता को धोखा दे रहे हैं

हौज़ा / गार्डियन काउंसिल के सदस्य आयतुल्लाह सैयद मोहम्मद रज़ा मुद्रसी यज़दी ने कहा कि पश्चिमी देश स्वतंत्रता का नारा तो लगाते हैं, लेकिन वास्तविकता में वे जनता को धोखे में रखने के अलावा कुछ नहीं करते सीरिया, लेबनान और ग़ाज़ा की वर्तमान स्थिति इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि ये देश वर्षों से इन क्षेत्रों को बमबारी, आर्थिक घेराबंदी और प्यास भूख जैसी कठिन परिस्थितियों में जकड़े हुए हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , आयतुल्लाह मद्रसी ने कहा कि पश्चिमी ताकतें आज़ादी की बात केवल दिखावे के लिए करती हैं, जबकि उनके व्यवहार में सच्ची आज़ादी कहीं नजर नहीं आती। दुनिया के कई देश उनकी नीतियों की वजह से लगातार संकटों का सामना कर रहे हैं।

ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई के विचारों पर आधारित जन–अधिकार और स्वतंत्रता विषयक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन सत्र आज 3 दिसंबर 2025 को ईरान ब्रॉडकास्टिंग के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र में आयोजित हुआ।

अपने संबोधन में आयतुल्लाह मुद्रसी ने कहा कि इस्लामी व्यवस्था सलाह मशविरा पर आधारित है। उन्होंने बताया कि हज़रत अली ने लोगों को यह निर्देश दिया है कि सही बात कहने और न्यायपूर्ण सलाह देने में संकोच न करें।

उन्होंने कुरान की आयत और उनके काम आपसी सलाह से चलाए जाते हैं का उल्लेख करते हुए कहा कि सामूहिक और सामाजिक मामलों में जनता की राय का महत्व अत्यंत बड़ा है, और स्वयं पैग़ंबर मुहम्मद को भी आदेश दिया गया था कि वे उम्मत से सलाह करें।

आयतुल्लाह मुद्रसी ने बद्र और उहोद के युद्धों का उदाहरण देते हुए कहा कि जब जनमत किसी स्पष्ट ईश्वरीय आदेश के विरुद्ध न हो, तो पैग़ंबर ने हमेशा बहुमत की राय को स्वीकार किया।

उन्होंने कहा कि अक़लमंद लोगों का तरीका भी यही है कि सामाजिक निर्णय सलाह और बहुमत की राय से लिए जाएँ। इस्लाम वह धर्म है जो जीवन के हर क्षेत्र राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक में व्यापक स्वतंत्रता का समर्थन करता है, और जो सीमाएँ तय की गई हैं वे मनुष्य की असली और पवित्र स्वतंत्रता की रक्षा के लिए हैं।

आयतुल्लाह मुद्रसी ने कहा कि कुरान के अनुसार पैग़ंबर मुहम्मद लोगों के लिए अच्छी और पवित्र चीजें वैध ठहराते हैं और हानिकारक चीजों से रोकते हैं। इस्लाम ने उन कठोर प्रतिबंधों को समाप्त किया जो पिछली समुदायों पर लागू थे।

गार्डियन काउंसिल के सदस्य ने कहा कि जो देश स्वयं को स्वतंत्रता का केंद्र बताकर दुनिया को दिखाते हैं, वे असल में स्वतंत्रता के नाम पर केवल धोखा फैलाते हैं। सीरिया, लेबनान और ग़ाज़ा की हालत इस धोखे का सबसे बड़ा प्रमाण है।

उन्होंने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय संस्थाएँ मानवाधिकार और महिलाओं के अधिकार के नाम पर तो दबाव डालती हैं, लेकिन वास्तविक मानवाधिकारों की रक्षा कहीं दिखाई नहीं देती।

आयतुल्लाह मुद्रसी ने उम्मीद जताई कि हौज़ा और विश्वविद्यालयों के विद्वान इन विषयों पर शैक्षणिक विश्लेषण करके जनता को सच्चाई से अवगत कराएँगे।

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